Wednesday, October 19, 2011

नफस मेरा जीवन .....

नफस मेरा जीवन है रूह की और जाना
मिलेगा मुझसे क्या ?
जबतक नफस न तुमने जाना
ज़माने रूपी देवताओ ने इल्हाम करवाया सो बोलदिया
वरना झमिर न मरे इसलिए,
कबके गूंगे बन चुके थे
तरीकत करता हूँ में प्रेम की,
जिसमें हकीकि की तलास
जीवन मिट रहा उसमे ,
फ़िर भी जारी है मेरी तलास
शरियत से ब्राहमणों का बोलबाला,
वीरता से क्षत्रि योका का
बीच की स्थिति बीच की न रहे ,
नीच का क्या है जमाना ?
'दीपक' ने कई आंधिया झेली सिर्फ़ हकीकि के लिये
जलेगा क्या कोई अब 'दीपक' जलाने के लिये ?

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